Monday, August 26, 2019

नेब्यूलायजर


विगत दो रातों से दिल पर आरी चल रही है। करवट बदलने के बीच ही जो थोड़ा सा अन्तराल है, वरना घर-घर की आवाज हर बार एक टीस दिए जाती है और साथ में ग्लानि भी।

मायरा को बहुत ही जबरदस्त जुकाम है। और उसके बलगम अवरुद्ध कंठ से ही ये आवाज आ रही थी। हर प्रकार के घरेलू नुस्खे आजमाने के बाद जब स्थिति में कोई सुधार नहीं दिखा तो हम डॉक्टर के पास गए। उन्होंने प्राथमिक जॉंच के बाद एक दवा बताई जिसको नेब्यूलायजर के सहारे देने की सलाह दी। 

अगर आप पहली बार नेब्यूलायजर को देखेंगे तो इतने सहम जाएंगे कि इसका नाम बेबिलॉनियन महानायक (या अाताताई, निर्भर करता है आपने किस पक्ष का इतिहास पढ़ा है) नेबाकैनेड्जर ही क्यों नहीं रख दिया गया। घरघराती हुई एक बिजली से चलने वाली मशीन और उसमें २-३ फीट लम्बी ट्यूब और उसके अन्त में एक मास्क! तिस पर निर्देश - एहतिआतन बच्चों को मास्क पहनाने पर आसपास ही रहें क्योंकि एकाध दम घुटने की घटनाएं हो चुकी हैं। ऐसे यंत्र बनाते ही क्यों हो भाई जो बच्चों को ऐसा मास्क पहनाना पड़े और फिर ऐसी एहतिआत भी बरतनी पड़े जिसमें श्वासावरोध की संभावना हो। 

और अगर आप फिल्में देखते हैं और खासकर बॉलिवुड फिल्में, तो नेब्यूलायजर की सबसे नजदिकी रिश्तेदार वही मशीन लगेगी जो हीरो की कराहती मरनासन्न मॉं के चेहरे पर लगा होता है। इस ख़याल से आपके पूरे शरीर में कम से कम एक सिरहन तो दौड़ ही गई होगी, सोचिए हमारा क्या हुआ होगा।

ख़ैर हिम्मत जुटाकर हम भैया के घर से नेब्यूलायजर लेकर आए और उसी हिम्मत के भरोसे एक दवा का डोज़ देने का प्रयास किया। प्रयास इसलिए क्योंकि हमारा प्लान था कि मायरा के सोने के बाद हम दवा देंगे और चूंकि वो सो रही होगी तो प्लान तो सफल होना ही है। फिर प्लान के मुताबिक जैसे ही मायरा गहरी नींद में गई हमने नेब्यूलायजर ऑन किया। और हमारा प्लान उसी वक्त धराशाई हो गया। हमें ये ज्ञान न था कि इतनी छोटी सी मशीन इतना आवाज कर सकती है, या फिर इतनी तो जरूर करती है कि सोता हुआ बच्चा उठ जाए। 

सीख - प्लान बनाने से पहले सारे मापदंड जॉंच परख लें वरना परिणाम और उसकी असफलता के आप ही उत्तरदायी होंगे। तो नेब्यूलायजर ऑन हुआ और उसकी घरघराहट से मायरा की नींद हो गई हवा। फिर भी जैसे तैसे उस डोज़ का कार्यक्रम खत्म हुआ। असर कितना हुआ ये तो पता नहीं लेकिन हमारे मन में इस पद्धति को लेकर संशय पैदा हो गई। और उस संशय को पुख्ता करने हमारी पड़ोसी आ गईं - वैसे भी इन मामलों में पड़ोसियों को बड़ा सॉलिड ज्ञान होता है। कुशलक्षेम के पश्चात उन्होंने अपना ज्ञान पेला साथ में तर्क भी कि  नेब्यूलायजर को काम करने के लिए लम्बी सॉंसें चाहिए जो बच्चे नहीं ले पाते हैं। इन सबके बावजूद हमने एकाध बार और प्रयास किया और परिणाम ये है कि आज घर-घर कुछ कम है, नेब्यूलायजर की भी और बलगम अवरुद्ध कंठ की भी । पर ग्लानि का अब कोई क्या करे - शायद प्लान को कार्यान्वित करने के लिए ईंधन की तरह इस्तमाल।

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