Tuesday, August 06, 2019

कॉल

“वी विल ऑप्टिमाईज़ मेमरी यूसेज विथ दिस!”, अरुण ने ऐसे कहा जैसे अपने प्रस्ताव के पक्ष में एक बहुत बड़ी दलील दी हो!
रात के दस बज चुके थे और नज़ारा वही था जो आजकल बहुत ही आम हो चुका है। कुछ काम को लेकर पश्चिमी और पूर्वी देशों में बैठे इंजीनियर्स आपस में परामर्श कर रहे थे, जिसे आजकल एक बहुत ही सरल संज्ञा, ‘कॉल’ के नाम से जाना जाता है। 

जहॉं पूर्वार्ध में सूर्यास्त हुए कई घंटे बीत चुके थे वहीं दूसरे छोर पर सूरज अभी अपने परवान तक भी नहीं पहुंचा था। साथ ही दोनों पक्ष से तर्क - वितर्क में कोई कोताही भी नहीं बरती गई थी, न ही वो किसी आम सहमति पर पहुंच पा रहे थे। इन्हीं बातों के दौरान अरुण ने ये अचूक बाण दागा था।

थोड़ी देर तक दोनों ओर सन्नाटा छाया रहा और फिर जैसे ही श्रीनि ने अरुण के तर्क के काट में ये शब्द कहे - “आई सी वेयर यू आर कमिंग फ्रॉम...” (आजकल ये भी क्या खूब पूरक है जहॉं आप अपनी काबीलियत भी दिखा देते है, औपचारिकता की कोई सीमा भी नहीं टूटती और लाख टके की बात - आप पूरे ग्रुप में अपनी असहमति भी साझा कर देते हैं) तभी नैपथ्य से आजकल के बच्चों को डिनर कराने में सुपरहिट सहायक सिद्ध होता हुआ वो गाना गूंज उठा - “लकड़ी की काठी, काठी पे घोड़ा, घोड़े की दुम पे जो...”।

फलत: ठहाकों का दौर चला, सब खूब खिलखिलाए, खूब ठिठोली हुई - हॉं, मगर सभी लोगों के माईक्स म्यूट पर थे! 

पिताओं के इस समूह में कुछ माताएं भी थीं और हम कितना भी कह लें कि अब हमारा समाज पुरुष प्रधान से स्त्री प्रधान होता जा रहा है, आज भी कई ऐसे कार्य हैं जिन्हें करने में पुरुषों के हाथ पैर फूल जाते हैं - छोटे बच्चों को खाना खिलाना भी वैसा ही एक कार्य है जिसपर महिलाओं का एकाधिपत्य है। और इस गाने ने ऐसी विहंगम छटा बिखेरी है कि हर बच्चा यह गाना सुनते/देखते ही मदहोश होकर, निश्छल प्रेम से मुँह खोल देता है और माताएं अपनी बहुकार्य पारंगत छवि को और निखार लेती हैं। और इसी बहुकार्यण के दौरान किसी का माईक अनम्यूट रह गया और पूर्वार्ध से पश्चिमार्ध तक इस गाने की महिमा ध्वनि तरंगों में परिवर्तित हो गई।

इस महिमा से कम से कम हम पर भी वैसी ही मदहोशी छा गई जैसे उस बच्चे पर छाई होगी। कुछ समय का भी असर रहा होगा और थोड़ी सी नीन्द (जिसकी कमी भी आजकल एक आम बात है) की खुमारी भी दोषी थी, हम आगे सुन तो पाए पर कुछ समझ नहीं पाए। 

तो फिर निदान ये होता है (ये हमारी इंडस्ट्री की अंदर की बात है) कि एक और ‘कॉल’ रख दिया जाता है, जिसमें “वी विल टॉक अबॉउट इट इन मोर डिटेल” वाला दॉंव फेंक दिया जाता है। हमने वही किया और दूसरा अवतार लेकर हम चल पड़े, वहॉं जहॉं उस गाने का असर हम अपने घर में चरित्रार्थ कर रहे थे - “घोड़ा पहुंचा चौंक पर, चौक पे था नाई, नाईजी ने घोड़े की हजामत जो बनाई”। और हजामत जिनकी होनी थी, वो अगले कॉल की तैयारी में लग गए थे।

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