Thursday, March 12, 2020

छल

घ्राण पर तुम मत देना ध्यान,
कुछ भी सूंघ बहक जाएगा
भूत भविष्य में भटकाएगा;
ताक पर रख देगा वर्तमान 

नैनों की भी मत सुनना तान,
प्रत्यक्ष तो समझ जाएगा
परोक्ष अनदेखा कर जाएगा;
करता रहेगा तुम्हें परेशान।

नैनों का ये पुराना काम,
कोई मीत जो छूट जाएगा
ये कल-कल अश्रु बहाएगा;
असम्भव इसको देना आराम।

इन्द्रियों में सबसे छलिया कान,
जो  सुनना वो भी सुन जाएगा
राई का पहाड़ बनवाएगा;
सुगम रस्ते भी 
नहीं रहने देगा आसान।

स्वाद से मिलेगा तुम्हें बड़ा कड़वा ज्ञान,
लत नए लगवाएगा,
बादशाह से फ़क़ीर बना जाएगा;
छूटेगा नहींचाहे छूटे प्राण!

मन के चौकीदार हैं ये
तैनात लिए तीर कमान,
एक बहलाएगा
दूसरा फुसलाएगा
बुद्धि पर पट डाल
प्रपंच से करेंगे हैरान।
अडिगस्थिर मन से
लेना इनसे काम
कितना भी विचलित करें
धैर्य ही बस इनका समाधान।

Monday, March 09, 2020

मार्ग पट

ख़ुद टूटा बिखरा हूँ,
कैसे तुम्हें सहेजूँगा 
हार का स्वाद जीव्हा पर मेरे,
जीत कैसे तुम्हें चखाऊँगा 
हाथ संकोच ने है जकड़े मेरे,
परों को कैसे उड़ान दे पाऊँगा 
ज़बान पर सोच का है बोझ पड़ा,
तुम्हें बेबाक कैसे बनाऊँगा!

हॉं ये है मेरे अनुभव का लेखा
ऊँच नीच जो भी मैंने देखा
तौल नापकर तुम्हें है आंकना
राह प्रशस्त आप तुम्हें है करना।

Friday, March 06, 2020

अब वो बोलना सीख रही है!

होंठ, जीव्हा, तालु में
हवा भर, उन्हें स्वर दे रही है
अब वो बोलना सीख रही है।
गौर से कभी सुनकर,
कभी यूँ ही अक्षरों को जोड़ तोड़ कर,
शब्दावली का विस्तार कर रही है
अब वो बोलना सीख रही है!
व्यक्त करने के नए माध्यम का
अवलोकन खूब कर रही है
अब वो बोलना सीख रही है!

बेकर्स डज़न

डी की अनुशंसा पर हमने फ़िल नाइट लिखित किताब “शू-डॉग” पढ़ना शुरु किया। किताब तो दिलचस्प है जिसमें नाइट ने अपने जीवन और संघर्ष की विस्तृत जानक...