Monday, March 22, 2021

बिहार हूँ मैं

थूक का लहराता लार हूँ मैं

गंदगी शिरोमणि बिहार हूँ मैं

शोरगुल हो हल्ला की चीत्कार हूँ मैं

टऽच कर देखो यलगार हूँ मैं

गिरता पड़ता बीमार हूँ मैं

हर बात पर तनी तलवार हूँ मैं

सिंहों की दौड़ में रंगा सियार हूँ मैं

भूत पर इतराता बेकार हूँ मैं।


बदल न पाओ वो इख़्तियार हूँ मैं

तुम्हारे बोझे को ढोने तैयार हूँ मैं

हर इल्ज़ाम सहता गुनाहगार हूँ मैं,

मज़दूरों, रैयत का सिपाहसलार हूँ मैं

दबों कुचलों का सार हूँ मैं

मगही, भोजपुरी, अंगिका, मैथिली

जानें कितनो में बंटा तार तार हूँ मैं

जीतने की नहीं है जल्दी

फिलहाल तो हार हूँ मैं

हॉं तो कोनची बिहार हूँ मैं।

बेकर्स डज़न

डी की अनुशंसा पर हमने फ़िल नाइट लिखित किताब “शू-डॉग” पढ़ना शुरु किया। किताब तो दिलचस्प है जिसमें नाइट ने अपने जीवन और संघर्ष की विस्तृत जानक...