Thursday, April 16, 2009

शब्द

अभिमान की वो झलकियाँ
भंजन हो या कोप का
शब्दों की लड़ियों में
प्रकट करो, बखान दो।

प्रकाश के अभाव में
जो ख़याल दब गए
संकोच को दशमांश कर
आज उनको कंठ दो।

मूर्खों की अज्ञानता में
शब्द यूँ ही बह गए
प्रज्ञ के मौन से
प्रकाष्ठ कितने खुल गए।

शब्दों की भीढ़ में
निशब्द का भी अर्थ है
ढाल है किसी की तो
कभी आधिपत्य का प्रमाण है;
निशब्द की कतार में
थाम लो, बाँध लो
शब्दों की लड़ियों में
प्रकट करो, बखान दो ।

1 comment:

  1. Once again .. Well written ..
    i'm impressed

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