अलसाई ऑंखों को मलते
बासी नींद में लड़खड़ाते
उबासियों की नि:शब्द तान लगाते
अब जो होड़ में लग जाते हैं
पुरानी यादें जाती जैसे बिखर!
क्या बदला हमें ही है खबर
पहले जाते थे स्कूल,
अब दफ्तर!
डी की अनुशंसा पर हमने फ़िल नाइट लिखित किताब “शू-डॉग” पढ़ना शुरु किया। किताब तो दिलचस्प है जिसमें नाइट ने अपने जीवन और संघर्ष की विस्तृत जानक...
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