दिमाग़ के
सारे पोर बंद हैं
न स्वाद है
न सुगंध है
ये जुकाम बड़ी बेरहम है।
ऑंखों में खुमारी
टूटते बदन के
हर हिस्से में ख़म है
ये जुकाम बड़ी बेरहम है।
उठती सॉंसों में
विरक्ति,
उतरती में बलगम है
ये जुकाम बड़ी बेरहम है।
डी की अनुशंसा पर हमने फ़िल नाइट लिखित किताब “शू-डॉग” पढ़ना शुरु किया। किताब तो दिलचस्प है जिसमें नाइट ने अपने जीवन और संघर्ष की विस्तृत जानक...
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