Saturday, July 28, 2018

वो रोकर अपनी बात कहती है

वो रोकर अपनी बात कहती है
भूख हो या हो कोई कष्ट
या ध्यान कभी जो हो भ्रष्ट!
दिन में कम,
लम्बी कहानियॉं हर रात कहती है
वो रोकर अपनी बात कहती है।

तान लम्बी कभी,
कभी हिचकियों से शुरुआत करती है।
पेचीदे नहीं
सरल सीधे सवालात करती है
ऑंखें मूंद कर भी
क्या खूब खुराफात करती है
वो रोकर अपनी बात कहती है।

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