Saturday, April 10, 2010

पुरानी जीन्स

मूंछों की पतली धार में
लहराती हुई उस चाल में
बातों के उस ग़ुबार में
वो अजीब सी मासूमियत
क्या ग़ज़ब का टशन

सहमते, लजाते हुए उनसे दो बात
झुकती आँखों की शर्म
"तेरी भाभी है" का भ्रम
दो बातों को बनाकर चार -
किस्से आसमानी
असल में एक तरफ़ा प्यार।

बेख़ौफ़, बेपरवाह से
हर कदम में जीत
हर ठोकर में दुनिया
हर जिरह में ज़िद
हर बात पर शर्त।

"देख लेंगे" था अभेद हथियार
"रुख़ बदल देंगे" था अकथ विश्वास।
बातें पिछले जनम की ?
या यादें धुंधली हो चली हैं।
शायद फ़र्क़ इतना है -
तब उम्र बीस की थी
अब तीस की हो चली है।  

4 comments:

  1. mast :)
    every blog of yours is worth a read, waise to ek nahi kai baar padh sakte hain :D

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  2. Awesomely Fantabulous.. Simple ,sweet ..'Neat'.. I don't know if it goes with that :)

    Loved this one
    Teri bhabhi hai" ka bhram ;-) Ha ha ha :P

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  3. Thanks a lot amit,sonal for such kind wrds!!!

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  4. i think i know whom you are referring to !

    finally a post i can read!

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