Sunday, August 20, 2006

मसीहा

गुदडी में समेटे तन को
सत्य का पाठ पढाने आया था।

चल कर दिखाया तूने उस राह पर
दिखाया बहुतों ने, पर दुर्गम उसे बताया था।

पृथक पड़ी थी बुध की वाणी
तूने उसे अपनाया था

गुदडी में समेटे...

हजारों साल की उस संस्कृति पर
तूने विश्वास फिर जगाया था।

रक्तविहीन ये कैसा रण था
जिससे आजादी तू छीन लाया था।

जिंदगी ने तेरी तो किया ही था विस्मित
पर मौत ने भी एक सैलाब उठाया था।

बंद हो गयी थी नफरत की आंधी
अश्रुधार ही बस एक सहारा था।

स्मृति तेरी अभी भी है सजीव
पर गुदडी की दशा पर तरस आता है

नमूनों को ढक कर बड़ी बेशर्मी से
वही गुदडी करोड़ों में बिक जाता है।

3 comments:

  1. This was nice...
    But what is this Khalish????

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  2. Wow Vikas i never knew you cud rite so well

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  3. Hi Manish,
    Khalish means "prick"...
    khujli in lay man's terms...;)

    Hi Suman,
    Thanks for your comments...inspiring words always give me a prick (or khalish....u can see my previous response for the meaning :))

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