घ्राण पर तुम मत देना ध्यान,
कुछ भी सूंघ बहक जाएगा
भूत भविष्य में भटकाएगा;
ताक पर रख देगा वर्तमान ।
नैनों की भी मत सुनना तान,
प्रत्यक्ष तो समझ जाएगा
परोक्ष अनदेखा कर जाएगा;
करता रहेगा तुम्हें परेशान।
नैनों का ये पुराना काम,
कोई मीत जो छूट जाएगा
ये कल-कल अश्रु बहाएगा;
असम्भव इसको देना आराम।
इन्द्रियों में सबसे छलिया कान,
जो न सुनना वो भी सुन जाएगा
राई का पहाड़ बनवाएगा;
सुगम रस्ते भी
नहीं रहने देगा आसान।
स्वाद से मिलेगा तुम्हें बड़ा कड़वा ज्ञान,
लत नए लगवाएगा,
बादशाह से फ़क़ीर बना जाएगा;
छूटेगा नहीं, चाहे छूटे प्राण!
मन के चौकीदार हैं ये
तैनात लिए तीर कमान,
एक बहलाएगा,
दूसरा फुसलाएगा
बुद्धि पर पट डाल
प्रपंच से करेंगे हैरान।
अडिग, स्थिर मन से
लेना इनसे काम
कितना भी विचलित करें
धैर्य ही बस इनका समाधान।
No comments:
Post a Comment