फूलों के गुच्छे हैं लदे
जाने क्यों कॉंटों की चर्चा है
खुशियों को दरकिनार कर
जाने क्यों हर दिल ग़म से वाबस्ता है!
जो पग अंगारों पर चलते हैं
उनका कॉंटे से ही रिश्ता है
गुच्छे तो उनको बहलाते हैं
सुकून जिनके दिल में बसता है।
मुनसिफ नज़रों से देखो तो
न फूल हैं, न कॉंटे वहॉं,
जिसपर जो जो गुज़री है
गुलज़ार में उसे वही दिखता है।
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