कविताएँ अमर होती हैं -
युगों की व्याख्यान
दशकों की टोह लेती है।
कहीं हर्ष
कहीं संघर्ष,
बिस्मिल कहीं,
पाश कहीं,
व्यग्र भीड़ को छंद देती है,
युगों की व्याख्यान
दशकों की टोह लेती है।
कहीं हर्ष
कहीं संघर्ष,
बिस्मिल कहीं,
पाश कहीं,
व्यग्र भीड़ को छंद देती है,
कविताएँ अमर होती हैं।
कभी विषाद
कभी आह्लाद;
कहीं बल
कहीं आस
शब्दों को धुन
धुनों को शब्द देती है;
कितने सपनों को पंख
कितनों को उड़ान देती है,
कविताएँ अमर होती हैं।
कभी आह्लाद;
कहीं बल
कहीं आस
शब्दों को धुन
धुनों को शब्द देती है;
कितने सपनों को पंख
कितनों को उड़ान देती है,
कविताएँ अमर होती हैं।
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