क्यों डरे है ज़िन्दगी में क्या होगा, कुछ न होगा तो तजुर्बा तो होगा।
सारे पोर बंद हैं
न स्वाद है
न सुगंध है
ये जुकाम बड़ी बेरहम है।
ऑंखों में खुमारी
टूटते बदन के
हर हिस्से में ख़म है
उठती सॉंसों में
विरक्ति,
उतरती में बलगम है
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