मानसिक द्वंद्व में
विचारों से ओत प्रोत
उसने मेरे पेशानी पर
बल पड़ते देखा है,
उसने मुझे निरस्त्र देखा है।
ढोंग, दिखावे में लिप्त
उसने मेरे मन का खोखलापन
उसकी बेलगाम दौड़,
बेवजह उसका फिसलकर
गिरना देखा है।
आडंबर वाला
ढकोसला अहं,
विश्वासहीन
बाणों की तूणीर
और तैश में
फुदकना देखा है,
उसने मुझे निरस्त्र देखा है।
Bahut aacha !
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