नील नदी के पानी मे
एक ग़ज़ब सा उबाल उठ आया है
टूनिसिया की गलियों से लेकर
मिस्र का तहरीर उबल आया है।
अल्गेरिया, येमेन सब हुए हैं शामिल,
रुकना लगता है अब मुश्किल...
ये क्रांति तो फिजा बदलने आया है।
हमारे वतन का मौसम देखिये,
सर्द माहौल यूँ छाया है,
लूट-खसोट की हवा है बहती -
घोटाला, भ्रष्टाचार गहन घिर आया है...
लेकिन यहाँ कैसे हो क्रांति,
कैसे आये वो उबाल,
जब विचार ही अपना अँधा है...
उबले पानी भी कैसे,
जब नील नहीं यहाँ -
कावेरी, गोदावरी, ब्रह्मपुत्र, यमुना...गंगा है।
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चरित्र
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Superb!!
ReplyDeleteanna ne sun li tumhari :)
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