गिलौरी का जब जिक्र चला
जोश हमारा परवान चढ़ा -
सुपाड़ी, तम्बाकू का ज्ञान नहीं
मीठे का ही बस शौक रखते हैं,
पर शब्दों के जब बाण चढ़ें
तो अर्थ-शून्य शास्त्रार्थ का भी हुनर रखते हैं ।
फिर वाकयुद्ध के इस समर मे
खोखली श्रेष्ठता का बाण हमने ताना
कहा - ज्ञान जहाँ है ही नहीं
वहां बेतुक, बेख़ौफ़ बोलते निकल जायेंगे
बिन बाधा, अवरोध बिना
एकाकी राज बजाते बढ़ जायेंगे ।
इस वजनदार संवाद का हम
अभी आनंद भी न उठा पाए थे -
की भीमकाय उपहास भरे शब्दों से
हुआ हमारा काम तमाम ।
सच ही कहा था किसी संत फकीर ने -
गिलौरी खाया कर गुलफाम,
जुबां पर रखा करती है लगाम ।
जोश हमारा परवान चढ़ा -
सुपाड़ी, तम्बाकू का ज्ञान नहीं
मीठे का ही बस शौक रखते हैं,
पर शब्दों के जब बाण चढ़ें
तो अर्थ-शून्य शास्त्रार्थ का भी हुनर रखते हैं ।
फिर वाकयुद्ध के इस समर मे
खोखली श्रेष्ठता का बाण हमने ताना
कहा - ज्ञान जहाँ है ही नहीं
वहां बेतुक, बेख़ौफ़ बोलते निकल जायेंगे
बिन बाधा, अवरोध बिना
एकाकी राज बजाते बढ़ जायेंगे ।
इस वजनदार संवाद का हम
अभी आनंद भी न उठा पाए थे -
की भीमकाय उपहास भरे शब्दों से
हुआ हमारा काम तमाम ।
सच ही कहा था किसी संत फकीर ने -
गिलौरी खाया कर गुलफाम,
जुबां पर रखा करती है लगाम ।
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