वो अडिग, अटल चट्टान खड़ा
लहरों के बीच अडा;चंचला चपला लहरों की -
अठखेलियों को देख हँसाहोड़ में वो उठ आती हैं,
बस चरण निर्मल कर जाती हैं ।चट्टान मंद-मंद मुस्काता है,
जीवन चक्र से लगता अनजान है ।
अनभिज्ञ चट्टान के विचारों से
रुकने का जब नाम न हो
चट्टानों को भी झुकना पड़ता है,
अलंकार रहित, अविरल इस दृढ़ जीवन की
अपनी ही सुन्दरता है ।।
No comments:
Post a Comment