शिक्षा के उद्यान में
सरल से परिधान में
ठेले पर भर चटकीले पकवान
स्वाद बॉंटने आता था
अरे नहीं,
वो तो प्यार बॉंटने आता था
मिला मिला कर पूरी भेल
थोड़ी मूरी, खूब कड़वा तेल
थोड़ी चटनी, पापड़ी थोड़ी
ज़्यादा के लिए फिर जी हुजूरी
हमें ज़िंदगी के रस दिखाने आता था
अरे नहीं,
वो तो प्यार बॉंटने आता था!
पापड़ी पर जम कर दही का तड़का,
उसके उपर जीरा का छौंका
मिर्च लाल, इमली खट्टी
हरी हरी धनिया की पत्ती
जीभ पर रंग लगाने आता था
अरे नहीं,
वो तो प्यार बॉंटने आता था!
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