जीवन की सबसे बड़ी पूँजी
हर सुबह
किसी और के हाथ
छोड़ आता हूँ
जाने इस महंगे सौदे में
कितना खोता हूँ
और क्या कमाता हूँ?
आज की फ़िक्र नहीं
कल की आस में
आसमान काटता हूँ;
जानता हूँ
मृगतृष्णा है कल,
फिर भी खुद को बहलाता हूँ ।
जाने इस महंगे सौदे में
कितना खोता हूँ
और क्या कमाता हूँ?
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