Sunday, July 01, 2018

दुहिता

तुम रचना नये कीर्तिमान
मैं मील का पत्थर बन जाऊं
तुम चमकना सूरज के किरणों सी
मैं रंगो बू सा बस जाऊं
तुम बनना अपने रंगमंच की नायिका
मैं नैपथ्य संगीत बन जाऊं
तुम महाकाव्य सी कृति बनना
मैं अलंकार, रस, छन्द बन जाऊं
तुम मोड़ना अपने ढंग से जिन्दगी
मैं मार्ग पट सा बन जाऊं


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दिन

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