Friday, May 17, 2013

आज मैं...

आज मैं गूँज हूँ
एक ऐसा शक्तिपुंज हूँ
उठा दूं, जगा दूं
संकोच तोड़ने की कुंज हूँ .


आज मैं सोच हूँ
मंथन हूँ
चिंतन हूँ
निशब्द क्रंदन हूँ
पाश नहीं, पर बंधन हूँ।


आज मैं रंग हूँ,
बेरंग को दर्शनीय बना
आज उसके संग हूँ
खूब ठठा कर, विहंग हूँ
खुद में डूबा हूँ, मलंग हूँ।।

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दिन

दिन   बीत रहे हैं गुज़र रहे हैं फिसल रहे हैं खिसक रहे हैं लुढ़क रहे हैं नहीं रुक रहे हैं। हम गिन रहे हैं जोड़ रहे हैं जोह रहे हैं खो रहे हैं...