आज मैं गूँज हूँ
एक ऐसा शक्तिपुंज हूँ
उठा दूं, जगा दूं
संकोच तोड़ने की कुंज हूँ .
आज मैं सोच हूँ
मंथन हूँ
चिंतन हूँ
निशब्द क्रंदन हूँ
पाश नहीं, पर बंधन हूँ।
आज मैं रंग हूँ,
बेरंग को दर्शनीय बना
आज उसके संग हूँ
खूब ठठा कर, विहंग हूँ
खुद में डूबा हूँ, मलंग हूँ।।
एक ऐसा शक्तिपुंज हूँ
उठा दूं, जगा दूं
संकोच तोड़ने की कुंज हूँ .
आज मैं सोच हूँ
मंथन हूँ
चिंतन हूँ
निशब्द क्रंदन हूँ
पाश नहीं, पर बंधन हूँ।
आज मैं रंग हूँ,
बेरंग को दर्शनीय बना
आज उसके संग हूँ
खूब ठठा कर, विहंग हूँ
खुद में डूबा हूँ, मलंग हूँ।।
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