खामोश शब्द, अन्तर्द्वंद विकट
क्या छुपा है, क्या प्रकट
खोखला मन, विषम तन्हाई
कोरे कागजों के पुलिंदे, न खून न स्याही .
लिखने को उठते हैं हाथ
तरंगो से बिलखते जज़्बात
कुछ छुप जाते हैं
कुछ छप जाते हैं.
सोच का विशाल अम्बार
विफल शब्दों की लम्बी कतार,
बौखलाते बेकार.
अनकही - अकड़ कर खड़ी विरुद्ध
अनगिन शब्द व्यर्थ, लाचार.
क्या छुपा है, क्या प्रकट
खोखला मन, विषम तन्हाई
कोरे कागजों के पुलिंदे, न खून न स्याही .
लिखने को उठते हैं हाथ
तरंगो से बिलखते जज़्बात
कुछ छुप जाते हैं
कुछ छप जाते हैं.
सोच का विशाल अम्बार
विफल शब्दों की लम्बी कतार,
बौखलाते बेकार.
अनकही - अकड़ कर खड़ी विरुद्ध
अनगिन शब्द व्यर्थ, लाचार.