Thursday, November 25, 2010

नुस्ख़ा

अठन्नी भर हुनर,
चवन्नी भर विश्वास,
सेर भर किस्मत,
छटांक भर मेहनत
जुड़ी-तुड़ी हिम्मत,
मुट्ठी भर हौसला ।

हलकी सी आशा,
स्वादानुसार बनावट
छिटपुट इमानदारी,
बहुधा ढोंग,
पाव भर चातुर्य,
बोरी भर योजना,
एक इत्मीनान भरा दिल,
बस तैयार हो गयी हमारी बेस्वाद ज़िन्दगी ।

1 comment:

  1. I love the sarcasm and the humor hidden in the lines.. Liked the words you chose for the tasteless life.. :)

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दिन

दिन   बीत रहे हैं गुज़र रहे हैं फिसल रहे हैं खिसक रहे हैं लुढ़क रहे हैं नहीं रुक रहे हैं। हम गिन रहे हैं जोड़ रहे हैं जोह रहे हैं खो रहे हैं...