ह्रदय विदारक दृश्य न था,
ग्लानी क्यों थी फिर?
गोद में वो बिलखता भी तो न था,
मुँह फेर लिया बस,
ज़िम्मेदारी मेरी क्यूँ हो?
चेहरा बनावटी था -
हाँ बनावटी ही तो था,
आंसू सूखे होते तो
कोई चिन्ह तो होता ही ।
हमारा ही बोझ होगा,
नज़रें झुकी ही रह गयी,
कोशिश हमारी क्यों रहती,
उनके कर्म हैं, दोष हम क्यों लें?
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दिन
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And now when i know the theme and idea behind this .. It is sounding so much better..
ReplyDeleteYou tend to feel bad sometimes.. But it's ok.. As u said.. "Unke karm hain .. dosh hum kyun lein ?"
Liked the way you chose the words to express those feelings.. Well written..
You should be writing more happy poems :) .. With Humor.. Lately its all sad poems ..