Saturday, February 17, 2024

कविता

कविताएँ अमर होती हैं -
युगों की व्याख्यान
दशकों की टोह लेती है।
कहीं हर्ष 
कहीं संघर्ष,
बिस्मिल कहीं,
पाश कहीं,
व्यग्र भीड़ को छंद देती है,

कविताएँ अमर होती हैं।


कभी विषाद
कभी आह्लाद;
कहीं बल
कहीं आस
शब्दों को धुन
धुनों को शब्द देती है;
कितने सपनों को पंख
कितनों को उड़ान देती है,
कविताएँ अमर होती हैं।

ट्रेन सफर

दूर दूर तक खेत दिखते हैं, ज़्यादा फ़रक भी नहीं है, कम से कम खेतों में। कभी हल्के रंग दिखते हैं और कहीं गहरे धानी। फ़सल गेहूँ सी लगती है पर क...