Monday, January 01, 2024

जुकाम

दिमाग़ के 

सारे पोर बंद हैं

न स्वाद है

न सुगंध है

ये जुकाम बड़ी बेरहम है।


ऑंखों में खुमारी 

टूटते बदन के

हर हिस्से में ख़म है

ये जुकाम बड़ी बेरहम है।


उठती सॉंसों में

विरक्ति,

उतरती में बलगम है

ये जुकाम बड़ी बेरहम है।

ट्रेन सफर

दूर दूर तक खेत दिखते हैं, ज़्यादा फ़रक भी नहीं है, कम से कम खेतों में। कभी हल्के रंग दिखते हैं और कहीं गहरे धानी। फ़सल गेहूँ सी लगती है पर क...