चाय बहाना है
दिनचर्या सुनाने का
किसने, किससे, क्या कहा
बताने का
शीत युद्ध में
थोड़ी गर्माहट लाने का।
चाय बहाना है
सुनने सुनाने का
कैसा रहा आज
और ट्रैफ़िक वाली बात
कितने कॉल्स आज रात
रूटीन सी दिन को
स्पेशल बनाने का।
दिन बीत रहे हैं गुज़र रहे हैं फिसल रहे हैं खिसक रहे हैं लुढ़क रहे हैं नहीं रुक रहे हैं। हम गिन रहे हैं जोड़ रहे हैं जोह रहे हैं खो रहे हैं...