दम्भ टूटे तो होता है शोर
धैर्य टूटे तो शब्द नहीं होता।
हर रोज़ जुड़ जुड़ कर बनता है दम्भ
जीत में नए आडम्बर ओढ़ता है दम्भ
प्रतिपल नए बहाने ढूंढता है दम्भ
रोकना चाहो तो बिफ़रता है दम्भ।
मानो तो चपला, नहीं तो चट्टान है धैर्य
महत्वाकांक्षाओं की नींव है धैर्य
हर आस में हिम्मत है धैर्य
समेटना चाहो तो रेत है धैर्य।
अपने चरम पर महाबली है धैर्य
सशक्त मन को करे, वो ईंधन है दम्भ
योग कर लिया जिसने दोनों का
सफल, महान जीवन का उसने पा लिया मंत्र!