क्यों डरे है ज़िन्दगी में क्या होगा, कुछ न होगा तो तजुर्बा तो होगा।
कहीं छंदों का कहीं संगों का कहीं फूल बहार के खेलों का चट्टानों, झील समंदर का सुन्दर रंगीन उपवनों का ख़ुशबू बिखेरती सुगंध का, कभी रसीले पकवान...
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