नीर पिपासु धमनियों में
विद्युत का संचार हुआ,
धरती के वक्ष में जब
बारिश का प्रहार हुआ।
घटाओं के शोर में
हर्ष का प्रचार हुआ,
बूंदों के होड़ में
रंज का संहार हुआ।
सृष्टि जैसे धुल गयी
रंग नए भर गए,
प्रीत की ओट में
उष्ण भी लाचार हुआ।
मेह के बहाव में
दृश्य भी निखर गयी,
सुशुप्त चेतना हुई बेचैन
समग्र सीमाओं का विस्तार हुआ;
नीर रंजित बाण से
आर्द्र का प्रवाह हुआ॥
विद्युत का संचार हुआ,
धरती के वक्ष में जब
बारिश का प्रहार हुआ।
घटाओं के शोर में
हर्ष का प्रचार हुआ,
बूंदों के होड़ में
रंज का संहार हुआ।
सृष्टि जैसे धुल गयी
रंग नए भर गए,
प्रीत की ओट में
उष्ण भी लाचार हुआ।
मेह के बहाव में
दृश्य भी निखर गयी,
सुशुप्त चेतना हुई बेचैन
समग्र सीमाओं का विस्तार हुआ;
नीर रंजित बाण से
आर्द्र का प्रवाह हुआ॥
to good, liked it
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