Sunday, June 30, 2019

ख़याल-ए-सोमवार

हर सोमवार ये ख़याल आता है
एक कम्पनी खोल दूं।
तू सबसे बेकार आदमी है
अपने मैनेजर को बोल दूं।
वो जो कट कर, अभी लहराते हुए गया
उसकी गाड़ी फोड़ दूं।
तेरी क्या कीमत है बता,
अभी तूझे तेरा मोल दूं।
फिर ख़याल चमकता है -
बज बज कर फ़ट गया
मैं भी कैसा ढोल हूँ!

चरित्र

कहीं छंदों का कहीं संगों का कहीं फूल बहार के खेलों का चट्टानों, झील समंदर का सुन्दर रंगीन उपवनों का ख़ुशबू बिखेरती सुगंध का, कभी रसीले पकवान...