मूंछों की पतली धार में
लहराती हुई उस चाल में
बातों के उस ग़ुबार में
वो अजीब सी मासूमियत
क्या ग़ज़ब का टशन
सहमते, लजाते हुए उनसे दो बात
झुकती आँखों की शर्म
"तेरी भाभी है" का भ्रम
दो बातों को बनाकर चार -
किस्से आसमानी
असल में एक तरफ़ा प्यार।
बेख़ौफ़, बेपरवाह से
हर कदम में जीत
हर ठोकर में दुनिया
हर जिरह में ज़िद
हर बात पर शर्त।
"देख लेंगे" था अभेद हथियार
"रुख़ बदल देंगे" था अकथ विश्वास।
बातें पिछले जनम की ?
या यादें धुंधली हो चली हैं।
शायद फ़र्क़ इतना है -
तब उम्र बीस की थी
अब तीस की हो चली है।
लहराती हुई उस चाल में
बातों के उस ग़ुबार में
वो अजीब सी मासूमियत
क्या ग़ज़ब का टशन
सहमते, लजाते हुए उनसे दो बात
झुकती आँखों की शर्म
"तेरी भाभी है" का भ्रम
दो बातों को बनाकर चार -
किस्से आसमानी
असल में एक तरफ़ा प्यार।
बेख़ौफ़, बेपरवाह से
हर कदम में जीत
हर ठोकर में दुनिया
हर जिरह में ज़िद
हर बात पर शर्त।
"देख लेंगे" था अभेद हथियार
"रुख़ बदल देंगे" था अकथ विश्वास।
बातें पिछले जनम की ?
या यादें धुंधली हो चली हैं।
शायद फ़र्क़ इतना है -
तब उम्र बीस की थी
अब तीस की हो चली है।