हैफ कि हम अनदेखों में रह गए
कभी उधर जाने का दिल ही नही था
कभी कुछ दूर चलकर मुड़ गए।
वो देखते पर्वत हैं
और कहते की पर्वत है ही नहीं ।
हमने रुख किया उधर
कुछ दूर चढ़े और नजारों के कायल हो गए।
सोज़ कहीं, तो
कहीं साज़ की कमी रह गयी ।
कभी कोशिश की रस में बह गए
हैफ कि हम अनदेखों में रह गए!!!