Tuesday, September 25, 2007

उम्मीद

थकी हुई इन लाल आंखों में
मैं आशा की किरण देखता हूँ

कहीं विचारों का सैलाब
कहीं अनकहे शब्दों की कतार देखता हूँ

अनछुए सपनों को मुष्टिगत करने की चाह
तो कहीं और ऊंची उडान देखता हूँ

अश्रुपूर्ण इन लाल आंखों में
मैं उम्मीद की मोड़ देखता हूँ

दबी बिछड़ी इच्छाओं को -
उछल कर पकड़ने का जोश देखता हूँ

वो जो था